
ब्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने अफसरों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकारी व्यवस्था की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक प्रेस वार्ता में मंत्री नंदी ने कई अहम बिंदुओं पर चिंता जताई, जिनमें वित्तीय प्रबंधन से लेकर अफसरों की जवाबदेही तक शामिल है।
सबसे बड़ा सवाल स्मार्टफोन की जगह टैबलेट की खरीद पर उठाया गया। मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष के अंत में यह बदलाव बिना स्पष्ट कारण के किया गया, जिससे 3100 करोड़ रुपये का बजट लैप्स हो गया। उन्होंने इसे अफसरों की लापरवाही करार दिया और कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई इस तरह बर्बाद नहीं की जा सकती।
मंत्री नंदी ने लीडा (LUDA) के मास्टरप्लान में हुए संशोधनों पर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि योजनाओं में बदलाव से जमीन उपयोग में अनियमितताएं बढ़ी हैं और इससे जनता व निवेशकों को नुकसान हुआ है।
एक और अहम मुद्दा था एक निजी कंपनी को FDI (विदेशी निवेश) के तहत दी गई सब्सिडी। मंत्री ने सवाल किया कि किस आधार पर यह सब्सिडी दी गई, जबकि कंपनी का रिकॉर्ड और प्रस्तावित निवेश अस्पष्ट था।
इसके अलावा, उन्होंने प्रशासन में वर्षों से एक ही जगह तैनात कर्मियों और अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया। मंत्री ने कहा कि बदलाव न होने से भ्रष्टाचार और साठगांठ को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसे अफसरों और कर्मचारियों को तत्काल हटाया जाना चाहिए।
मंत्री नंदी के इन बयानों ने सरकार के भीतर ही अफसरशाही को लेकर नई बहस छेड़ दी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री स्तर से कार्रवाई संभव है।