
ब्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
चंदौली।
सैयदराजा विधानसभा सीट के भाजपा विधायक सुशील सिंह लंबे समय के बाद एक बार फिर एक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने जिले में फैली विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार करते हुए नगवां पंप कैनाल और 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें भारी अनियमितताएं और घोर लापरवाही देखने को मिली, जिससे नाराज होकर उन्होंने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की।

निरीक्षण के दौरान सिंचाई और बिजली व्यवस्था की हालत देखकर विधायक सुशील सिंह ने लघु सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता और सिंचाई मंत्री से सीधे संपर्क कर शिकायत की और जल्द कार्रवाई का आश्वासन भी लिया। उनका यह कड़ा रुख इस ओर इशारा करता है कि जिले में अफसरशाही बेलगाम हो चली है और शासन की योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले भी सपा नेता और पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने जनपद चंदौली में विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। वे लगातार सरकार को धरातल की हकीकत से अवगत कराते रहे हैं। विशेषकर किसानों की समस्याओं और सिंचाई की बदहाल स्थिति को लेकर उन्होंने कई बार आवाज उठाई और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए।

आज जब भाजपा विधायक खुद मैदान में उतरकर लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, तो यह साफ हो गया है कि मनोज सिंह डब्लू की नाराजगी और आरोप बेबुनियाद नहीं थे।
चंदौली, जो कि एक कृषि प्रधान जिला है और जिसका उल्लेख स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में करते हैं, वहां की यह स्थिति चिंताजनक है। ऐसे जिले में यदि सिंचाई और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की हालत खराब हो और अधिकारी बेलगाम होकर काम कर रहे हों, तो यह प्रशासनिक तंत्र की विफलता का स्पष्ट संकेत है।
विधायक सुशील सिंह की नाराजगी और उनके निरीक्षण से यह स्पष्ट हो गया है कि जनपद के अधिकारी जनता की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं हैं। जो व्यवस्थाएं किसानों और आमजन के लिए चलाई जा रही हैं, वे केवल फाइलों और बैठकों तक सीमित हैं।
जनता यह सोचने को मजबूर है कि जब खुद सत्तारूढ़ दल के विधायक को शिकायत करनी पड़ रही है और मंत्री से कार्रवाई की मांग करनी पड़ रही है, तो आम आदमी की बात आखिर कौन सुनेगा?
अब देखना होगा कि विधायक की इस सक्रियता के बाद जिलास्तरीय प्रशासन कितना जिम्मेदारी निभाता है। क्या केवल कार्रवाई की बात होगी या वास्तव में कोई ठोस कदम भी उठाए जाएंगे?
फिलहाल इतना तय है कि चंदौली में जनप्रतिनिधियों की सक्रियता और जनता की नाराजगी प्रशासन के लिए एक कड़ी चेतावनी है। अब यदि भी सुधार नहीं हुआ तो आने वाले समय में जनता का असंतोष और राजनीतिक दबाव, दोनों ही और बढ़ सकते हैं।