
ब्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
उत्तर प्रदेश चंदौली हम सभी ने पुलिसिया कार्यवाही के कई रूप देखे हैं—कभी सख्ती, कभी लाठीचार्ज, तो कभी सिर्फ कागजी कार्यवाही। परंतु जमीन पर बैठकर जनसुनवाई करते हुए पुलिसकर्मी की तस्वीरें बहुत ही कम देखने को मिलती हैं। आज के बदलते सामाजिक परिवेश में पुलिस विभाग की अलग-अलग तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आ रही हैं, जिनमें से कुछ आलोचना का विषय बनती हैं तो कुछ प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।

ऐसी ही एक प्रेरणादायक तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। यह तस्वीर चंदौली जनपद के अलीनगर थाना क्षेत्र के लोंदा चौकी से जुड़ी है, जहां चौकी इंचार्ज अनन्त भार्गव ने एक नई मिसाल कायम की है। मामला उस समय का है जब एक शिकायतकर्ता अपनी समस्या लेकर चौकी पर पहुंचा। उसके पास बैठने के लिए कोई सुविधा नहीं थी और सामान्यतः ऐसी स्थिति में कई अधिकारी शिकायत को नजरअंदाज कर सकते हैं या उसे जल्दबाजी में निपटाने का प्रयास करते हैं।

लेकिन अनन्त भार्गव का व्यवहार अन्य अधिकारियों से अलग निकला। उन्होंने न केवल शिकायतकर्ता की बात को ध्यानपूर्वक सुना, बल्कि खुद भी ज़मीन पर बैठकर उसके साथ संवाद किया और समस्या के समाधान की दिशा में तुरंत कार्यवाही प्रारंभ की। यह दृश्य न केवल पुलिस की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि इंसाफ के लिए कुर्सी नहीं, नीयत चाहिए।
वर्तमान समय में जब पुलिस और आम जनता के बीच विश्वास की खाई गहरी हो रही है, ऐसे उदाहरण उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आते हैं। अनन्त भार्गव जैसे अधिकारी पुलिस महकमे की उस छवि को प्रस्तुत करते हैं, जिसे लोग देखना चाहते हैं—एक संवेदनशील, जिम्मेदार और जनता के प्रति समर्पित पुलिस।
यह तस्वीर एक संदेश भी देती है कि वर्दी में भी इंसानियत होती है। अगर हर पुलिसकर्मी इस तरह से जनसुनवाई करे और जमीन से जुड़कर कार्य करे, तो आम लोगों का पुलिस पर भरोसा कई गुना बढ़ सकता है।
अनन्त भार्गव की यह पहल सिर्फ एक तस्वीर नहीं, बल्कि पुलिस व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की एक झलक है। यही सच्चे लोकसेवक की पहचान है—जो न सिर्फ कानून की रक्षा करे, बल्कि लोगों के दुख-दर्द को समझकर उनका समाधान भी करे।