
(एक चिंताजनक विकास की सच्चाई)
ब्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
चंदौली जनपद के मुगलसराय विधानसभा अन्तर्गत चदाईत शिवनाथपुर उसरौडी के पास जिस भूमि पर पहले सुरक्षा का प्रतीक सीआरपीएफ कैंप बनने वाला था, अब उसी भूमि पर एक औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना हो रही है। स्थानीय लोगों ने शुरू में इस परियोजना का दिल खोलकर स्वागत किया था और रोजगार की उम्मीद में खुशी-खुशी अपनी ज़मीनें दे दी थीं। काम भी शुरू हो गया है, लेकिन अब जब सच्चाई सामने आ रही है, तो लोगों को अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा है।
दरअसल, जिस भूमि पर आज उद्योग लग रहा है, वह पहले सीआरपीएफ कैंप के लिए प्रस्तावित थी। यदि वह सुरक्षा कैंप बन गया होता, तो न केवल क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होती, बल्कि स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मिलतीं। इसके साथ-साथ पूरे इलाके में एक सकारात्मक सामाजिक और आर्थिक माहौल बनता।

दुर्भाग्यवश, कुछ राजनीतिक जनप्रतिनिधियों ने लोगों को भ्रमित किया और उन्हें बहकाकर सीआरपीएफ कैंप का विरोध करवाया। विरोध इतना तीव्र था कि अंततः यह योजना रद्द हो गई और कैंप की स्थापना सोनभद्र लोकसभा क्षेत्र में कर दी गई। इससे चंदौली जिला एक बड़े अवसर से वंचित हो गया।
अब जब उद्योग लग रहा है, तो आशंका है कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। किसानों को जिस रोजगार का सपना दिखाया गया था, वह अब केवल एक वादा बनकर रह गया है। प्रदूषण, जल संकट, और ज़मीन की बर्बादी जैसी समस्याएं सामने आने लगी हैं।

जिस भूमि से सुरक्षा और विकास की आशा थी, वह अब लोगों के लिए चिंता का कारण बन रही है। आज ग्रामीण यह सोचने पर मजबूर हैं कि यदि समय पर सही निर्णय लिया गया होता, तो शायद स्थिति कुछ और होती।
बताया यह जाता है कि चदाईत सीआरपीएफ कैंप का विरोध होने के बाद नौगढ़ बनाना था लेकिन सैयद राजा विधायक सुशील सिंह ने रक्षा मंत्री राजनाथ से अपनी बात रखी और उसे चकीया मैं बनाने की अपील की राजनाथ सिंह ने इस बात को गंभीरता से लिया और वही हुआ

यह घटना न केवल प्रशासन और राजनीति की विफलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर विकास का रास्ता नहीं तय किया जा सकता। जागरूकता और दूरदृष्टि ही किसी भी क्षेत्र के वास्तविक विकास की कुंजी होती है।