
संवाददाता विरेन्द्र प्रताप सिंह
चकिया (चंदौली)। लतीफ शाह गांव इन दिनों आस्था, आश्चर्य और रहस्य का केंद्र बना हुआ है। बनवारी दास बाबा मंदिर के पास जब जिला पंचायत द्वारा निर्माण कार्य के अंतर्गत खुदाई कराई जा रही थी, तब ज़मीन के नीचे से एक दुर्लभ और कलात्मक पत्थर की मूर्ति निकली।
जैसे ही मूर्ति बाहर निकाली गई, श्रद्धालु हर्ष और विस्मय से भर उठे। मूर्ति की बनावट और उस पर उकेरे गए धार्मिक प्रतीकों को देखकर पुजारी अवधेश जी ने बताया कि यह भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा प्रतीत होती है। उनका कहना है कि मूर्ति की स्थिति और शिल्पकला यह संकेत देती है कि यह स्थान कभी किसी भव्य मंदिर का हिस्सा रहा होगा, जो संभवतः सैकड़ों साल पहले किसी आपदा या कालचक्र की मार से नष्ट हो गया।
इतिहास दोहराता है?
यह पहली बार नहीं है जब लतीफ शाह की धरती ने कोई रहस्य उजागर किया हो। वर्ष 2008 में, बाढ़ के बाद मलबा हटाने के दौरान भी मंदिर के समीप कुछ रहस्यमयी मूर्तियाँ मिली थीं। पुजारी अवधेश बताते हैं—
“वो मूर्तियां उस समय वन विभाग द्वारा ले जाई गई थीं, लेकिन न तो उनका कोई रिकॉर्ड सार्वजनिक हुआ और न ही वे किसी संग्रहालय में देखने को मिलीं।”
इस रहस्य ने ग्रामीणों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। लोग पूछ रहे हैं:
👉 क्या यहां सच में कोई प्राचीन विष्णु मंदिर रहा था?
👉 2008 में मिली मूर्तियां आज कहां हैं?
👉 क्या पुरातत्व विभाग इस स्थल की खुदाई करेगा?
आस्था और इतिहास का मिलन
गांव के बुजुर्गों और स्थानीय श्रद्धालुओं का मानना है कि यह भूमि कोई साधारण स्थान नहीं, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है।
लोगों की मांग है कि इस स्थान की पुरातात्विक जांच कराई जाए और यदि यहां किसी प्राचीन मंदिर के अवशेष हैं, तो उसे संरक्षित कर एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।
निष्कर्षतः, माटी के नीचे दबी आस्था अब जाग चुकी है — और साथ में कई सवाल भी। समय आ गया है कि इस रहस्य से पर्दा उठे और लतीफ शाह की धरती का इतिहास फिर से उजागर हो।