
ट्रैक्टर गया तो तुम भी नहीं जाओगे!” – जंगल बचाने पहुंचे रेंजर को मिली धमकी,
वन विभाग की गाड़ी जलाने की थी तैयारी
संवाददाता
विनोद कुमार यादव
नौगढ़ चन्दौली
जयमोहनी रेंज का जंगल बुधवार को रणक्षेत्र में तब्दील हो गया, जब आरक्षित वन भूमि की जुताई रोकने पहुंचे वन विभाग के अफसरों को गांव की महिलाओं और पुरुषों की उग्र भीड़ ने घेर लिया। ट्रैक्टर जब्त होते ही पूरा इलाका बिफर उठा। “अगर ट्रैक्टर गया तो तुम भी नहीं जाओगे!” — यह सीधी धमकी रेंजर को दी गई। ईंट-पत्थरों से लैस महिलाएं वन विभाग की गाड़ी तक जलाने पर उतारू हो गईं। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि पुलिस को बुलाना पड़ा।
रेंजर की टीम को ग्रामीणों ने बनाया निशाना

वन क्षेत्राधिकारी मकसूद हुसैन की अगुवाई में जब टीम जंगल की जुताई रोकने और ट्रैक्टर जब्त कर वापस लौट रही थी, तभी रास्ते में गांव की महिलाओं ने उन्हें घेर लिया। पहले गालियां, फिर मारपीट की धमकी और फिर सरकारी वाहन को आग लगाने की तैयारी— सब कुछ तेजी से हुआ। भीड़ पूरी तरह उग्र हो चुकी थी।
पुलिस पहुंची, तब जाकर बची वन विभाग की टीम
वन विभाग की ओर से तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। थाना प्रभारी रमेश यादव फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस की गाड़ी देखते ही थोड़ी देर को भीड़ पीछे हटी, लेकिन महिलाओं ने ट्रैक्टर के सामने दीवार बनाकर खड़ी हो गईं। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस और वन विभाग को पीछे हटना पड़ा।
27 अतिक्रमणकारियों पर एफआईआर, अब गिरफ्तारी की तैयारी
घटना के बाद वन दरोगा वीरेंद्र पांडे ने नौगढ़ थाने में 27 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। इन लोगों में विशेषरपुर, फरसा और भरदुवा गांव के लोग शामिल हैं। कई अज्ञात हमलावरों की पहचान भी की जा रही है। टीम में शामिल गुरुदेव सिंह, रोहित गुप्ता, मुलायम सिंह, भोला पाल, नरसिंह और प्रेम नारायण जैसे अधिकारी भी निशाने पर आए।
इतिहास खुद को दोहरा रहा है – जब भी अफसर जंगल बचाने गए, जान पर बन आई
जयमोहनी रेंज की ये कहानी कोई नई नहीं है। 2008 में DFO पर हमला हुआ, जान बचाने के लिए उन्हें चलती बस में चढ़कर भागना पड़ा। एक और मामले में, तत्कालीन रेंजर कुंज मोहन वर्मा को महिलाओं ने पीटा और उन्हें साड़ी पहनाने की कोशिश तक की। 2025 में भी वही हालात – जंगल बचाओ, लेकिन जान की बाजी लगाकर!
अब सिर्फ FIR नहीं, एक्शन चाहिए!
इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं: क्या वर्दी में अधिकारी अब जंगल में भी सुरक्षित नहीं, क्या हर बार ट्रैक्टर के पीछे पूरी भीड़ खड़ी होगी और अफसरों को भागना पड़ेगा, क्या अतिक्रमण के पीछे कोई संगठित गिरोह है। अगर वन विभाग अब भी मूकदर्शक बना रहा, तो जंगल नहीं बचेगा – हर पेड़ पर कब्जेदारों का नाम लिखा होगा और हर अफसर सिर्फ FIR की कॉपी लेकर घूमता रहेगा।