
ब्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया “जल जीवन मिशन” ग्रामीण भारत को स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका लक्ष्य 2024 तक हर घर में नल के माध्यम से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। लेकिन चंदौली जनपद में इस योजना की वास्तविक स्थिति कुछ और ही कहानी बयां करती है।
जिले में जल जीवन मिशन के अंतर्गत लगभग 450 जल टंकियों का निर्माण प्रस्तावित था, परंतु अब तक केवल 70 टंकियां ही चालू हो पाई हैं। बाकी परियोजनाएं या तो अधूरी हैं या निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है। सरकार इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए प्रयासरत है, लेकिन कंपनियों और अधिकारियों की लापरवाही, भ्रष्टाचार और समय पर काम न कर पाने की वजह से योजना का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

सड़कों को खोदकर अंडरग्राउंड पाइप बिछाए गए, लेकिन अभी तक ग्रामीणों को पानी नसीब नहीं हुआ है। कई स्थानों पर पाइप लाइन अधूरी पड़ी है, जिससे स्थानीय जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे चिंता की बात यह है कि टंकी निर्माण और पाइप लाइन बिछाने के दौरान मानकों की अनदेखी की गई है। घटिया सामग्री का उपयोग और निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी भ्रष्टाचार की ओर संकेत करती है।
चंदौली जिले में भाजपा के तीन विधायक और 9 में से 8 ब्लॉकों पर भाजपा समर्थित प्रमुखों का कब्जा है, फिर भी ज़मीनी स्तर पर योजना की निगरानी और पारदर्शिता का अभाव है। सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड कर प्रचार-प्रसार तो हो रहा है, लेकिन असल कार्य का निरीक्षण करने की इच्छाशक्ति नजर नहीं आती। परिणाम स्वरूप कुछ कंपनियों और अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने का खुला मौका मिल गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग साफ पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। जो योजना जीवन देने के उद्देश्य से लाई गई थी, वह लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिख रही है। यदि जल्द ही निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की गई, तो यह मिशन अपने मूल उद्देश्य से भटक जाएगा। जनता को केवल घोषणाएं नहीं, बल्कि धरातल पर दिखने वाला परिणाम चाहिए।
जल निगम अधिकारी सीताराम यादव ने बताया कि जल्द कार्य पूर्ण होगा
ग्रामीणों की अपील है कि एक बार जिला अधिकारी महोदय इस मामले को संज्ञान लें और सरकार की योजना पर ध्यान दें