
व्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
चंदौली सपा विधायक प्रभु नारायण यादव ने विधानसभा के सदन में चंदौली जनपद की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने गंभीर सवाल उठाते हुए पूछा कि चंदौली में कैंसर, किडनी तथा अन्य जानलेवा बीमारियों से ग्रसित गरीब, असहाय एवं मध्यमवर्गीय मरीजों के लिए वर्तमान में कौन-सी ठोस व्यवस्थाएँ संचालित हैं। क्या जनपद स्तर पर आधुनिक जाँच संसाधन, विशेषज्ञ चिकित्सक और समुचित इलाज की स्थायी सुविधा वास्तव में उपलब्ध है, या फिर यह सब केवल कागजों और सरकारी दावों तक सीमित है।

विधायक ने कहा कि चंदौली जैसे पिछड़े जनपद में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जिला अस्पताल में न तो पर्याप्त विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही आधुनिक जाँच मशीनें। कैंसर या किडनी जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को वाराणसी, प्रयागराज या लखनऊ जैसे बड़े शहरों में रेफर कर दिया जाता है। गरीब मरीजों के लिए बाहर इलाज कराना आर्थिक रूप से लगभग असंभव हो जाता है, जिससे कई बार इलाज के अभाव में जान तक चली जाती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार “सबका साथ, सबका विकास” और “बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ” जैसे बड़े-बड़े दावे तो करती है, लेकिन धरातल पर हकीकत बिल्कुल उलट है। सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी, जांच में देरी, स्टाफ की अनुपस्थिति और अव्यवस्था आम बात हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीज घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, फिर भी उन्हें संतोषजनक उपचार नहीं मिल पाता।
प्रभु नारायण यादव ने यह भी पूछा कि यदि वर्तमान में जनपद स्तर पर सुपर स्पेशियलिटी या विशेष चिकित्सा इकाई की व्यवस्था नहीं है, तो क्या भविष्य में जनहित को ध्यान में रखते हुए ऐसी कोई योजना प्रस्तावित है। उन्होंने मांग की कि चंदौली में कम से कम कैंसर और किडनी रोगों के लिए विशेष चिकित्सा सुविधा, डायलिसिस सेंटर, आधुनिक जांच लैब और विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्थायी तैनाती की जाए।
विधायक ने कहा कि जब तक सरकार जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत नहीं करेगी, तब तक गरीब और मध्यमवर्गीय मरीज इलाज के लिए तड़पते रहेंगे और सरकारी दावे केवल भाषणों तक ही सीमित रह जाएंगे।




