
वसीम खान मऊ रिपोर्टर
मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ)।
हज सेवा की दुनिया का एक चमकता सितारा गुरुवार की रात हमेशा के लिए बुझ गया। आल इंडिया हज सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय हज कमेटी के पूर्व सदस्य हाफिज़ नौशाद आज़मी अब हमारे बीच नहीं रहे। लखनऊ के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में उन्होंने अंतिम सांस ली। शुक्रवार को उनके पैतृक गांव नगरीपार (मुहम्मदाबाद गोहना) में नमाज-ए-जुमा के बाद हजारों लोगों की मौजूदगी में उन्हें सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया।
संघर्षों से बनी पहचान
हाफिज़ नौशाद ने जिंदगी के शुरुआती दौर से ही हाजियों की सेवा को अपना मकसद बनाया। हज यात्रियों को सुविधाएं दिलाने और उनके अधिकारों की लड़ाई में उन्होंने न केवल सरकार को मजबूर किया बल्कि अदालत के दरवाज़े भी खटखटाए। सुप्रीम कोर्ट से आए कई फैसले हाजियों के पक्ष में हुए, जिनका श्रेय उनकी जद्दोजहद को जाता है।
सेवाभाव से मिला सम्मान
उनकी कोशिशों से हज यात्रियों को न केवल बेहतर सुविधाएं मिलीं बल्कि उनकी आवाज़ को देशभर में पहचान भी मिली। यही कारण है कि हाफिज़ नौशाद को “हाजियों का हमदर्द” कहा जाता रहा। उनका मानना था कि सेवा ही सबसे बड़ा सम्मान है।
अपार जनसमूह ने दी विदाई