
संवाददाता आदर्श श्रीवास्तव
आजमगढ़। तकनीक के इस युग में जब कई लोग डिजिटल दस्तावेजों को केवल सरकारी औपचारिकता मानते हैं, वहीं आधार कार्ड ने एक बार फिर अपनी प्रासंगिकता और मानवीय उपयोगिता को सिद्ध किया है। ऐसा ही एक मार्मिक मामला आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक परिवार ने अपने 10 साल से लापता बेटे आदित्य को आधार कार्ड की मदद से खोज निकाला।
आदित्य, जो जन्मजात गूंगा है, करीब एक दशक पूर्व घर से लापता हो गया था। परिवार ने उसे ढूंढने के भरसक प्रयास किए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। हाल ही में गुजरात के रामटिक अनाथ आश्रम में उसका आधार कार्ड अपडेट किया गया, जिसमें गलती से उसके परिवार का पुराना मोबाइल नंबर दर्ज हो गया।
आश्रम प्रबंधन द्वारा आधार अपडेट के बाद उस नंबर पर संपर्क किया गया, जिससे आदित्य के परिवार तक यह जानकारी पहुंची। सूचना मिलते ही परिवार के सदस्य गुजरात पहुंचे और भावुक क्षणों के बीच आदित्य को वापस घर ले आए।
यह मामला आधार कार्ड की उपयोगिता को केवल पहचान पत्र तक सीमित न मानते हुए, समाजिक पुनर्मिलन के एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में रेखांकित करता है।
आधार की उपयोगिता इस तरह साबित हुई:
- बिछड़े हुए परिजनों को खोजने में मददगार
- दस्तावेज अपडेट के दौरान संपर्क सूत्र की अहमियत
- अनाथ आश्रमों व संस्थानों को डेटा आधारित पुनर्मिलन का माध्यम प्रदान करता है
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में मान्यता नहीं दी है, लेकिन यह अब तक कई खोए हुए लोगों को उनके परिवार से मिलाने का सशक्त माध्यम बन चुका है।
आदित्य की कहानी इस बात का प्रमाण है कि आधार कार्ड सिर्फ पहचान नहीं, बल्कि रिश्तों की डोर भी है।