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श्रावणी पूजा: आस्था, शक्ति और समृद्धि का पर्व

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वसीम खान मऊ रिपोर्टर

श्रावणी पूजा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसे सावन के महीने में श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न करते हैं। यह पूजा विशेष रूप से मां काली को समर्पित होती है, जिनकी उपासना से भक्तों को सुख-शांति, समृद्धि और दैवीय संरक्षण प्राप्त होता है। सावन का महीना वैसे भी भक्ति, तप और साधना के लिए जाना जाता है, और श्रावणी पूजा इस पावन माह की एक अनमोल परंपरा है।

श्रावणी पूजा का महत्व

श्रावणी पूजा करने से समाज में सौहार्द और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि इससे आध्यात्मिक बल में वृद्धि होती है और व्यक्ति दैवीय आपदाओं से सुरक्षित रहता है। यह पूजा गांव और समाज में सामूहिक एकता और धार्मिक चेतना को भी सुदृढ़ करती है।

पूजा के दौरान की जाने वाली गतिविधियाँ

श्रद्धालु सुबह से ही मां काली की पूजा में जुट जाते हैं। मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है और मां काली को जल, फूल, धूप-दीप अर्पित किए जाते हैं। आरती और प्रार्थना के समय भक्तगण पूरी श्रद्धा से देवी का स्मरण करते हैं और भक्ति गीतों का आयोजन होता है।

एक विशेष परंपरा के तहत मां काली को ‘खप्पर’ चढ़ाया जाता है, जो तांत्रिक साधना का प्रतीक है और शक्ति की उपासना का विशेष अंग माना जाता है। पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है, जिसमें सभी श्रद्धालु भाग लेते हैं।

श्रावणी पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह संस्कृति और समाज को जोड़ने वाला पर्व भी है, जो आध्यात्मिक चेतना के साथ सामाजिक समरसता का भी संदेश देता है।

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