
— चंदौली जनपद की उपेक्षा बनी छात्रों के भविष्य की बाधा
व्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
चंदौली जनपद के नियामताबाद ब्लॉक अंतर्गत बन रहा राजकीय इंटर कॉलेज अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। वर्ष 2019 में तत्कालीन विधायक एवं राज्यसभा सांसद साधना सिंह की पहल पर इस कॉलेज के निर्माण की स्वीकृति मिली थी, और शासन से 2.77 करोड़ रुपये की धनराशि भी आवंटित कर दी गई थी।

शुरुआत में निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू हुआ और क्षेत्रवासियों में एक उम्मीद जगी कि अब बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन कुछ ही समय बाद कार्यदायी संस्था द्वारा निर्माण कार्य में गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की गई। घटिया निर्माण सामग्री और तकनीकी खामियों की शिकायतें शासन तक पहुंची, जिसके बाद मामला एसआईटी (विशेष जांच दल) को सौंपा गया।

2023 से निर्माण कार्य पूरी तरह बंद पड़ा है, और अधूरा भवन अब जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। छतों से प्लास्टर झड़ने लगा है, दीवारें दरक रही हैं और परिसर में घास-फूस उग आया है। एक समय जो कॉलेज शिक्षा का केंद्र बनने वाला था, वह अब ग्रामीणों की निराशा और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बन चुका है।
स्थानीय लोग लगातार मांग कर रहे हैं कि कॉलेज निर्माण को फिर से शुरू किया जाए ताकि क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को लाभ मिल सके। इस बीच सपा सांसद डॉ. वीरेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि,

“कोई भी निर्माण कार्य हो, खुद भाजपा नेता ही उसे रुकवाते हैं। चुनाव के समय कार्य दोबारा चालू कराकर जनता को भ्रमित किया जाता है।”

वहीं चंदौली के जिलाधिकारी चंद्रमोहन गर्ग ने बताया कि,
“मामले की जांच अभी चल रही है। जैसे ही रिपोर्ट सामने आएगी, निर्माण कार्य दोबारा शुरू कराया जाएगा।”
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता से छात्रों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार और प्रशासन मिलकर इस खंडहर को फिर से एक शिक्षा संस्थान में बदल पाएंगे या यह भवन यूं ही उपेक्षा की भेंट चढ़ता रहेगा।