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जब डीएम देख रहे थे झरना, उसी वक्त डूब गया सैलानी 8 घंटे बाद भी शव नहीं मिल सका, हफ्ते में दूसरी जान गई, जिम्मेदार कौन

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चंद्रप्रभा बना ‘पर्यटन’ के नाम पर मौत का कुआं

संवाददाता विनोद कुमार यादव

नौगढ़ (चंदौली)
जनपद का प्रमुख पर्यटन स्थल चंद्रप्रभा जलप्रपात एक बार फिर मौत का मंजर बन गया। रविवार को वाराणसी के जैतपुरा निवासी 22 वर्षीय रियाज की बांध में डूबकर दर्दनाक मौत हो गई।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि जब हादसा हुआ, उसी समय चंदौली के जिलाधिकारी अपने परिवार संग पास ही स्थित राजदरी जलप्रपात पर ‘पर्यटन भ्रमण’ पर थे। 8 घंटे बीतने के बाद भी शव बरामद नहीं किया जा सका, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था और आपदा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

गहराई में समा गया रियाज, प्रशासन खामोश तमाशबीन

रियाज अपने दोस्तों के साथ राजदरी-देवदरी घूमने आया था। लौटते समय वह चंद्रप्रभा डैम में स्नान के लिए उतरा और गहरे पानी में चला गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मौके पर न तो कोई चेतावनी बोर्ड था, न बैरिकेडिंग, और न ही कोई सुरक्षाकर्मी।

घटना की जानकारी मिलते ही चंद्रप्रभा चौकी व नौगढ़ थाना पुलिस, गोताखोर और फायर ब्रिगेड को मौके पर बुलाया गया। लेकिन 8 घंटे की मशक्कत के बाद भी शव नहीं खोजा जा सका।

हर हफ्ते दोहराई जाती है मौत की कहानी

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हर रविवार कोई न कोई डूबता है। लेकिन ना स्थायी गोताखोर हैं, ना कोई रेस्क्यू टीम। अधिकारी आते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और चले जाते हैं।

सरकार द्वारा चंद्रप्रभा, राजदरी और देवदरी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन सुरक्षा के बुनियादी मानकों की हालत न्यूनतम से भी नीचे है।

दो हफ्ते में दूसरी मौत, फिर भी अफसरों की चुप्पी क्यों

महज दो हफ्ते पहले एक बिहार निवासी पर्यटक की भी डूबने से मौत हुई थी। तब अफसरों ने सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने का दावा किया था। लेकिन रियाज की मौत ने सारे दावों की पोल खोल दी है।

सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब डीएम खुद मौके के पास थे, तो त्वरित रेस्क्यू की व्यवस्था क्यों नहीं हुई? क्या प्रशासन सिर्फ तमाशबीन बनकर रह गया!

क्या चंद्रप्रभा अब ‘शवप्रभा’ बन चुका है

लाखों का बजट, लेकिन न लाइफगार्ड ,न चेतावनी बोर्ड, न बैरिकेडिंग, न मोबाइल नेटवर्क, न आपातकालीन सहायता और अब जान की कीमत पर ‘पर्यटन’

नेटवर्क की समस्या बनी जानलेवा बाधा

स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि पूरे पर्यटन क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क तक नहीं आता, जिससे किसी भी आपात स्थिति की जानकारी समय रहते नहीं पहुंच पाती। यह मांग भी उठ रही है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान दे और नेटवर्क सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए।
अब सवाल उठना लाज़िमी है
जब VIP दौरे के समय भी सुरक्षा नहीं, तो आम जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी क्या चंद्रप्रभा सिर्फ फोटो खिंचवाने और फाइलों में योजनाओं के लिए है ,क्या अफसर और विभाग केवल बजट खर्च कर कर्तव्य की इतिश्री समझते हैं‌।
अब जिम्मेदारी कौन लेगा — प्रशासन, पुलिस, वन विभाग या पर्यटन विभाग
रियाज की मौत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि पर्यटन स्थल सिर्फ सुंदरता से नहीं, सुरक्षा से बनते हैं। जब तक ज़मीनी स्तर पर सुरक्षा, निगरानी, संचार और त्वरित रेस्क्यू सिस्टम नहीं लागू होते — तब तक चंद्रप्रभा जैसा पर्यटन केंद्र ‘मौत का जाल’ ही बना रहेगा।

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