
व्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के बबुरी क्षेत्र अंतर्गत परमानंदपुर माइनर से जुड़ी एक गंभीर समस्या बीते लगभग एक दशक से किसानों को परेशान कर रही है। यह माइनर चंद्रप्रभा नदी से जुड़ी हुई है, जिससे किसानों को खेतों की सिंचाई में सहायता मिलती है। लेकिन विभागीय लापरवाही और बुनियादी संरचना के अभाव में प्रतिदिन लगभग 50 बीघा खेतों के बराबर पानी व्यर्थ ही गढई नदी में बह जाता है।
समस्या की जड़ – फील्ड वॉल का अभाव

यह माइनर लगभग 3 किलोमीटर लंबी है और बबुरी से परमानंदपुर गांव तक फैली हुई है। इस क्षेत्र के सैकड़ों किसान अपनी खेती की सिंचाई के लिए इसी माइनर पर निर्भर हैं। लेकिन माइनर में फील्ड वॉल (बांध या जल अवरोधक दीवार) का निर्माण न होने के कारण पानी नियंत्रित नहीं हो पाता और सीधे गढई नदी में चला जाता है। इससे जहां एक ओर सिंचाई का पानी बर्बाद हो रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों को खेतों में पर्याप्त पानी न मिलने के कारण फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
हर वर्ष होता है अस्थायी प्रबंध, फिर भी नहीं रुकता पानी

स्थानीय किसानों ने बताया कि सिंचाई विभाग द्वारा हर साल अस्थायी तौर पर मिट्टी और बोरी लगाकर पानी को रोकने का प्रयास किया जाता है, जिस पर हजारों रुपये खर्च किए जाते हैं। लेकिन यह उपाय केवल कुछ दिनों के लिए कारगर होता है और बारिश या पानी के दबाव से अस्थायी अवरोध बह जाते हैं। नतीजा यह होता है कि कीमती पानी गढई नदी में बह जाता है और किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है।
प्रशासन से शिकायत, पर समाधान नहीं

किसानों का कहना है कि वे इस समस्या को लेकर कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन दिए जाते हैं, जिससे किसानों में रोष व्याप्त है। कुछ किसानों ने यह भी बताया कि वे जनप्रतिनिधियों से भी मिले, लेकिन वहां से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
मुख्यमंत्री के निर्देश भी फेल
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अधिकारियों को किसानों के हित में कार्य करने के निर्देश देते रहते हैं। परंतु धरातल पर अगर स्थिति देखी जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण नीतियों का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
समाधान क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों और किसानों की राय है कि यदि इस माइनर पर स्थायी फील्ड वॉल का निर्माण करा दिया जाए तो पानी को नियंत्रित किया जा सकता है और उसका सही दिशा में उपयोग हो सकेगा। साथ ही अगर रेगुलेटर गेट लगा दिया जाए तो माइनर में पानी के ओवरफ्लो की स्थिति में उसे नियंत्रित कर गढई नदी में बहाव को कम किया जा सकता है। इससे न केवल पानी की बर्बादी रुकेगी बल्कि सिंचाई व्यवस्था भी दुरुस्त हो जाएगी।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस विषय पर जब चंद्रप्रभा प्रखंड के सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह एक गंभीर समस्या है और इस पर जल्द ही उचित कदम उठाए जाएंगे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि स्थायी समाधान के लिए बजट की व्यवस्था की जा रही है और तकनीकी सर्वेक्षण कराया जाएगा।
निष्कर्ष
चंद्रप्रभा माइनर से प्रतिदिन बहता सिंचाई का पानी एक ओर सरकारी धन की बर्बादी है, वहीं दूसरी ओर किसानों के लिए संकट का कारण भी बन रहा है। यदि समय रहते इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो यह क्षेत्र कृषि उत्पादन में पीछे होता चला जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि विभागीय अधिकारी और शासन कितनी गंभीरता से इस समस्या का हल निकालते हैं या किसान यूं ही हर साल पानी बहता देखने को मजबूर रहेंगे।
