
“व्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
भारतीय रेलवे ने एक बार फिर अपनी तकनीकी दक्षता, लॉजिस्टिक्स क्षमता और योजना क्रियान्वयन का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करते हुए एक नया इतिहास रच दिया है। जहां अब तक “सुपर वासुकी” को देश की सबसे लंबी मालगाड़ी होने का गौरव प्राप्त था, वहीं अब “रुद्रास्त्र” नामक महावाहक ट्रेन ने इस रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए भारत की सबसे लंबी ट्रेन बनने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है।
🔹 “सुपर वासुकी” की झलक
“सुपर वासुकी” को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) द्वारा 15 अगस्त 2022 को भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर चलाया गया था। यह ट्रेन करीब 3.5 किलोमीटर लंबी थी और इसमें कुल 5 मालगाड़ियाँ जोड़ी गई थीं। इसका उद्देश्य ऊर्जा संयंत्रों तक कोयला आपूर्ति को तेज़ और प्रभावी बनाना था। “सुपर वासुकी” ने भारत में भारी माल ढुलाई के नए रास्ते खोले।

रुद्रास्त्र” – नया कीर्तिमान
अब इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए “रुद्रास्त्र” नामक ट्रेन ने नई ऊँचाइयों को छू लिया है। इसे पूर्व मध्य रेलवे (ECR) के पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल द्वारा एक ट्रायल रन के रूप में चलाया गया। इस ट्रेन को न्यू गंज ख्वाजा से न्यू सोन नगर तक चलाया गया, जिसकी कुल दूरी लगभग 120 किलोमीटर रही।
🛤️ मालगाड़ियों की कुल संख्या: 6
📏 ट्रेन की कुल लंबाई: लगभग 4.5 किलोमीटर
🚄 ट्रायल रन रूट: न्यू गंज ख्वाजा (पं. दीनदयाल उपाध्याय मंडल) से न्यू सोन नगर (ECR)
📌 परिचालन दूरी: 120 किलोमीटर
“रुद्रास्त्र” केवल एक ट्रेन नहीं, बल्कि भविष्य की लॉजिस्टिक ताकत और प्रौद्योगिकी के उत्कृष्ट प्रयोग का प्रतीक है। यह ट्रायल न केवल सफल रहा, बल्कि इसने यह भी सिद्ध किया कि भारतीय रेलवे विश्वस्तरीय चुनौतियों को अपनाने और पूरा करने की पूरी क्षमता रखता है।
🔹 मालवहन में क्रांति की शुरुआत
इस प्रकार की उच्च क्षमता वाली लंबी मालगाड़ियाँ, जैसे “रुद्रास्त्र”, भारतीय मालवाहन प्रणाली में गुणात्मक परिवर्तन लाने वाली हैं। इससे न केवल भारी मात्रा में माल को एक साथ कम समय और लागत में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जा सकेगा, बल्कि यह ईंधन की बचत, ट्रैफिक कंजेशन में कमी, और कार्बन उत्सर्जन में नियंत्रण जैसे पर्यावरणीय लाभ भी प्रदान करेगी।
इसके अतिरिक्त, एकल लंबी ट्रेन के संचालन से रेलवे ट्रैक की उपयोगिता बढ़ेगी और कम मानव संसाधन में अधिक कार्य किया जा सकेगा, जिससे संपूर्ण लॉजिस्टिक प्रणाली अधिक कुशल और सशक्त बनेगी।
🔹 भविष्य की झलक
“रुद्रास्त्र” की सफलता यह स्पष्ट संकेत देती है कि भारत अब पारंपरिक मालवाहन प्रणाली से आगे बढ़कर स्मार्ट लॉजिस्टिक्स, हाई-कैपेसिटी फ्रेट कॉरिडोर्स, और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) जैसी परियोजनाओं में यह तकनीक बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।
🔹 निष्कर्ष
“रुद्रास्त्र” न केवल एक तकनीकी सफलता है, बल्कि यह ‘मेक इन इंडिया’, आत्मनिर्भर भारत, और ग्रीन इंडिया की अवधारणा को भी मजबूती देती है। यह ट्रेन भारतीय रेलवे के उस भविष्य का प्रतीक है, जो तेज़, सुरक्षित, सक्षम और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि “रुद्रास्त्र” ने भारत को वैश्विक लॉजिस्टिक मानचित्र पर एक नया मुकाम दिलाया है, और यह शुरुआत है उस परिवर्तन की, जो आने वाले वर्षों में भारतीय परिवहन व्यवस्था को एक नई दिशा देगा।